आखिरी तारीख (प्रेरक लघुकथाएं)

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“वर्माजी !”उसने पुकारा। बड़े बाबू की मुद्रा में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। उनकी आँखें बंद थीं और दाँतों के बीच एक बीड़ी दबी हुई थी। ऐश-ट्रे माचिस की तीलियाँ और बीड़ी ...

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